Sunday, August 28, 2016

वादों की क्या औकात.

ना करना कभी वादों पर जरूरत से ज्यादा ऐतबार
जब पाक किताबों पर रखकर हाथ झूठी
कसमें खा लेते है लोग. 
तो फिर वादों की क्या औकात.

शिल्पा रोंघे.

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