कभी कभी ना कुछ कहने
का मन करता है
ना कुछ लिखने का मन
करता है
पर तय है
जब चीरे लगेंगे
दिल पे
तो होगा कुछ यूं
कि उस लहू की स्याही
से पूरी किताब ही
लिखी जाए
जिसमें हो बातें
कुछ अनकही
शिल्पा रोंघे
का मन करता है
ना कुछ लिखने का मन
करता है
पर तय है
जब चीरे लगेंगे
दिल पे
तो होगा कुछ यूं
कि उस लहू की स्याही
से पूरी किताब ही
लिखी जाए
जिसमें हो बातें
कुछ अनकही
शिल्पा रोंघे
No comments:
Post a Comment