सचमुच बेहद मुश्किल है एक औरत के लिए
प्रेम और करियर का चुनाव.
गर वो प्रेम के लिए करियर छोड़
दे तब भी पुरूष पर निर्भर नारी का
तमगा पाती है.
कभी बोझ बन जाती है तो कभी अतिरिक्त खर्च के
लिए कोसी जाती है.
गर प्रेम को छोड़कर करियर के पथ पर
जाती है आत्मनिर्भर बनने.
तो भी स्वार्थी तो कभी लापरवाह
कहलाती हैं.
गढ़ी गई परिभाषाएं पुरूषों द्वारा
उस ज़माने में जब वो परदे में रहती थी.
हां आधुनिक युग में भी सोच नहीं है बदली.
शिल्पा रोंघे
प्रेम और करियर का चुनाव.
गर वो प्रेम के लिए करियर छोड़
दे तब भी पुरूष पर निर्भर नारी का
तमगा पाती है.
कभी बोझ बन जाती है तो कभी अतिरिक्त खर्च के
लिए कोसी जाती है.
गर प्रेम को छोड़कर करियर के पथ पर
जाती है आत्मनिर्भर बनने.
तो भी स्वार्थी तो कभी लापरवाह
कहलाती हैं.
गढ़ी गई परिभाषाएं पुरूषों द्वारा
उस ज़माने में जब वो परदे में रहती थी.
हां आधुनिक युग में भी सोच नहीं है बदली.
शिल्पा रोंघे
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