Saturday, December 9, 2017

एक दीवानें की दिल की बात

एक दीवानें की दिल की बात

तेरे ख्यालों से महक जाता हूं मैं.
क्यों इत्र खरीदूं मैं ?

तेरे ख्यालों से ही निखर जाता हूं
क्यों चंदन खरीदूं मैं ?

तेरे ही ख्यालों से तंदुरूस्त हो गया हूं मैं.
फिर क्यों दवा पर खर्च करूं मैं.

तेरे ही ख़्यालों से अमीर हो गया हूं मैं.
तो फिर क्यों दौलत की फ़िक्र करूं मैं.

शिल्पा रोंघे

No comments:

Post a Comment

मेघा

देख रहे हैं राह, बचे-खुचे कुछ जंगल। अब तो निमंत्रण स्वीकार कर। सूख रही हैं नदियाँ और ताल, फिर से बह कर कहीं दूर निकल चल। मेघा, बरस  फिर से, ...