Thursday, December 14, 2017

वो लड़की

सर्द शाम में.
जमीं बर्फ सी, तो कभी जली अलाव सी.
गर्मियों में कुल्फी सी.
जमीं सी, कभी पिघली सी
बारिश के मौसम में
भीगी बूंद सी,तो कभी ओंस सी.
दिखी मुझे वो लड़की
मिली भी लेकिन घुली नहीं.
लापता सी, गुमशुदा सी
थोड़ी जानी सी थोड़ी अंजानी सी.
नाम बता कर गई .
पर पता बताना भूल गई.
अब तुम ही बताओं कहां ढूंढू
उसे, जिसका अता पता ही
पता नहीं मुझे.
ना जाने कहां है वो
हां मेरे दिल के कोने में आज भी कहीं बसती है वो.
शिल्पा रोंघे



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