एक दीवानें की दिल बात
क्या तुम ज़माने से डरती हो ?
या मुझ पर यकीं नहीं करती हो?
कभी जाना पर्वत के उस पार
मैं बैठूंगा इस पार.
हो गर एतबार तो तो लेना जोर से मेरा नाम.
आएंगी गूंज कानों तक तो हां समझूंगा.
नहीं आई तो भी खुश हो लूंगा.
हां रोक नहीं सकती मुझे तुम पर्वत तक
आने से और इंतज़ार करने से.
कभी कभी भूले भटके यहां
आ मत जाना शायद
मैं वहां तुम्हें इंतज़ार करते मिलुंगा.
बता रहा हूं अभी से
फिर गिला मत करना.
शिल्पा रोंघे
क्या तुम ज़माने से डरती हो ?
या मुझ पर यकीं नहीं करती हो?
कभी जाना पर्वत के उस पार
मैं बैठूंगा इस पार.
हो गर एतबार तो तो लेना जोर से मेरा नाम.
आएंगी गूंज कानों तक तो हां समझूंगा.
नहीं आई तो भी खुश हो लूंगा.
हां रोक नहीं सकती मुझे तुम पर्वत तक
आने से और इंतज़ार करने से.
कभी कभी भूले भटके यहां
आ मत जाना शायद
मैं वहां तुम्हें इंतज़ार करते मिलुंगा.
बता रहा हूं अभी से
फिर गिला मत करना.
शिल्पा रोंघे
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