Tuesday, December 12, 2017

तुम्हारी यादें

तुम्हारी यादें बचपन की लोरी सी.

तुम्हारी यादें जवानी की उमंग सी.

तुम्हारी यादें बुढ़ापे की बैसाखी सी.

हां ज़िंदगी के हर पल और हर मोड़
पर साथ चलती कारवां सी.

हां तुम्हारी यादें संजीवनी बूटी सी
जो खो बैंठू होश तो बिल्कुल
दवा सी.

शिल्पा रोंघे

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