Saturday, December 9, 2017

मन का झरोखा

खोल दो खिड़कियां मन की अपनी.

ताकि झांक संकू में रूह तक तुम्हारी.

बहुत पढ़ लिया तुम्हारा चेतन मन.

अब है बारी तुम्हारे अवचेतन मन की.

कहते है अक्सर जागे से बेहतर सोया हुआ

मन ही  खोल देता है दिल में छिपा राज़.

शिल्पा रोंघे

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