Wednesday, December 27, 2017

सुधार की कैसी चाह

है जुटे हुए कुछ लोग
सुधार में.
है जुटे कुछ लोग आधुनिकता
की दुहाई देकर पंरपराओं को
प्राचीन बताने में.

तो कुछ पंरपराओं की आड़ लेकर
बदलाव को ठुकराने में.

है जुटे हुए कुछ लोग
अपनी ही बात सही मनवाने में.

उनकी इच्छाओं का नहीं कोई
अंत, सिर्फ इसलिए जुटे है वो दूसरों का
हक छीनने में जिसके वो अधिकारी हैं.

सच से लगता है उन्हें डर इसलिए झूठ
का चमकता चोला वो पहने हुए.
तो कभी सफेदपोश के रूप में.

हां जुटे है कुछ लोग अपने ही झूठ
को सच बताने में, और सच को दबाने
में.

शिल्पा रोंघे

No comments:

Post a Comment

होली

 इस होली, हम रंग नहीं लगाएंगे, बल्कि सिर्फ शांति और सौहार्द का संदेश फैलाएंगे।