तेरी बेरूख़ी के नागफ़नी उगे है.
तेरी मेहरबानियों के गुलाब खिले हैं.ना
हमने उन दोनों को अपने दिल के आंगन
में सजा लिया है.
ना तेरी मेहरबानियों की राह देखी.
ना तेरी बेरूख़ियों का शिकवा किया.
बिना फर्क किए सींचती हूं अपने आंखों
से बहे नमकीन पानी से.
नागफ़नी और गुलाब दोनों को.
शिल्पा रोंघे
तेरी मेहरबानियों के गुलाब खिले हैं.ना
हमने उन दोनों को अपने दिल के आंगन
में सजा लिया है.
ना तेरी मेहरबानियों की राह देखी.
ना तेरी बेरूख़ियों का शिकवा किया.
बिना फर्क किए सींचती हूं अपने आंखों
से बहे नमकीन पानी से.
नागफ़नी और गुलाब दोनों को.
शिल्पा रोंघे
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