Friday, December 8, 2017

कहने का हुनर

कहने का हुनर कभी आया नहीं.
लिख देता हूं कुछ शब्द कागज़ पर.

ये उंगलियां जुबां से
तेज़ और चालाक निकली.

एक जुबां है जो कुछ कहती नहीं.
रोकता हूं कई बार में कलम को अपनी.
मगर ये मेरी सुनती नहीं.

शिल्पा रोंघे

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