Tuesday, December 12, 2017

पीपल का वो पत्ता सा प्यार

पीपल का वो पत्ता सा
किताब के पन्नों के बीच
रखा हुआ सूखा सा.
चंदन सा महका हुआ
गले में सांप उसके  लिपटा सा.
पानी सा पारदर्शी
लेकिन बर्फ सा ठंडा और जमा सा.
सुंदर पंखों वाला पंछी
लेकिन पिंजरें में बंद सा
हवा के झौंके सा
जो गुजर गया निकल बाजू से
मिला भी नहीं कोई गिला किया भी नहीं
अनकहे प्यार का किस्सा सा
पूरा भी और अधूरा सा .
शिल्पा रोंघे

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होली

 इस होली, हम रंग नहीं लगाएंगे, बल्कि सिर्फ शांति और सौहार्द का संदेश फैलाएंगे।