ना दौलत की ख़्वाहिश रखें.
ना शोहरत की चाह रखें.
कोई सिर्फ वफ़ा के बदले वफ़ा
की हसरत रखे.
बदले में अगर उसे ये भी ना मिले तो
कितनी भी सुनहरी हो मोहब्बत
कोई भला क्यों उसे मंज़ूर करें ?
शिल्पा रोंघे
ना शोहरत की चाह रखें.
कोई सिर्फ वफ़ा के बदले वफ़ा
की हसरत रखे.
बदले में अगर उसे ये भी ना मिले तो
कितनी भी सुनहरी हो मोहब्बत
कोई भला क्यों उसे मंज़ूर करें ?
शिल्पा रोंघे
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