प्रेम का पंछी कोई कैदी
नहीं जिसे रखा जाए
पिंजरें में.
उसे होता है जब प्यार किसी
डाल से तो वहीं वो घरौंदा बना लेता है.
ना गुज़ारिश करनी पड़ती हैै, ना मिन्नत
करनी पड़ती है.
हर डाल के नसीब में होता है एक घरौंदा
और एक पंछी.
जब खेल वक्त और किस्मत का है तो डाल भला
इसकी परवाह क्यों करें ?
शिल्पा रोंघे
नहीं जिसे रखा जाए
पिंजरें में.
उसे होता है जब प्यार किसी
डाल से तो वहीं वो घरौंदा बना लेता है.
ना गुज़ारिश करनी पड़ती हैै, ना मिन्नत
करनी पड़ती है.
हर डाल के नसीब में होता है एक घरौंदा
और एक पंछी.
जब खेल वक्त और किस्मत का है तो डाल भला
इसकी परवाह क्यों करें ?
शिल्पा रोंघे
No comments:
Post a Comment