तुम एक "पौधा"
मैं एक "बादल"
सींचूंगा तुम्हें बरसात बनकर
करना मुझे तुम आकर्षित
कभी "पेड़" तो कभी "जंगल" बनकर.
बरसूंगा बूंद बनकर
बुझाउंगा प्यास तुम्हारी "नहर" तो कभी "नदी"बनकर
तुम मेरी राह
देखना.
मैं तुम्हारी देखुंगा.
कभी मैं तुम्हारी
तो कभी तुम मेरी आस बन जाना.
शिल्पा रोंघे
मैं एक "बादल"
सींचूंगा तुम्हें बरसात बनकर
करना मुझे तुम आकर्षित
कभी "पेड़" तो कभी "जंगल" बनकर.
बरसूंगा बूंद बनकर
बुझाउंगा प्यास तुम्हारी "नहर" तो कभी "नदी"बनकर
तुम मेरी राह
देखना.
मैं तुम्हारी देखुंगा.
कभी मैं तुम्हारी
तो कभी तुम मेरी आस बन जाना.
शिल्पा रोंघे
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