Friday, December 8, 2017

तुम एक पौधा मैं एक बादल

तुम एक "पौधा"

मैं एक "बादल"

सींचूंगा तुम्हें बरसात बनकर

करना मुझे तुम आकर्षित
कभी "पेड़" तो कभी "जंगल" बनकर.
बरसूंगा बूंद बनकर
बुझाउंगा प्यास तुम्हारी "नहर" तो कभी "नदी"बनकर

तुम मेरी राह
देखना.
मैं तुम्हारी देखुंगा.

कभी मैं तुम्हारी
तो कभी तुम मेरी आस बन जाना.

शिल्पा रोंघे

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होली

 इस होली, हम रंग नहीं लगाएंगे, बल्कि सिर्फ शांति और सौहार्द का संदेश फैलाएंगे।