भाग्य खुद लिखता है इंसान
मानती हूं और जानती हूं.
कोई माने या ना
माने
पूर्वजन्म के चक्र
में विश्वास करती
हूं.
रिश्ते नाते,
दोस्ती, टकराव, लगाव
रूचि और अरूची
सुख और दूख
पिछले जन्मों से
है जुड़े ये मानती
हूं मैं.
एक अधूरी प्रस्तावना
होता
है पिछला जन्म जिसका
उपसंहार अगले जन्म
में
लिखते है हम, चाहे
अनचाहे इस
बात पर विश्वास कर
जाती हूं मैं.
शिल्पा रोंघे
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