Saturday, February 10, 2018

प्रेम दिवस पर

कभी जलेबी  सा मीठा.
तो कभी उसकी तरह उलझा हुआ सा.

कभी नीम सा कड़वा
तो कभी उसके अर्क से बनीं  दवा सा.

कभी गुलाब सा महकता
तो कभी उसी गुलाब  की रखवाली
करता चुभता  हुआ कांटा  सा.

किसी के लिए सांस
तो किसी के लिए
इबादत ही
होता है "प्रेम"

शिल्पा रोंघे


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