गुलाब की पंखुडियों सी नाज़ुक भावना रखती हूं।
I like to write Hindi poetry in comprehensive language, which try to depict different situation and state of mind of human beings. All Rights reserved ©Shilpa Ronghe
Sunday, March 7, 2021
नारी दिवस
Friday, March 5, 2021
इंसानियत की ऐसी मिसाल
लौ से लौ जलती है
बुझती नहीं।
गलती अपनी हो तो रिहाई चाहिए।
किसी और कि हो तो कैद चाहिए।
कोशिश हो ऐसी कि
बात हमेशा बराबरी की होनी चाहिए।
इंसानियत की ऐसी मिसाल हर
रोज पेश होनी चाहिए।
शिल्पा रोंघे
Wednesday, March 3, 2021
इंसानियत
जानवरों के जंगल में एक इंसान का मिलना भी खबर,
और इंसानों की बस्ती में जंगल से जानवर का आना भी खबर।
काश इंसानों की बस्ती में इंसानियत का मिलना भी इक दिन बने ख़बर।
शिल्पा रोंघे
Tuesday, March 2, 2021
कृति
किसी की लिखी कृति में जबरन खुद को बैठाने की
कोशिश ना करे, खुद भी चैन से रहिए और दूसरों को भी रहने
दें।
शिल्पा
मेघा
देख रहे हैं राह, बचे-खुचे कुछ जंगल। अब तो निमंत्रण स्वीकार कर। सूख रही हैं नदियाँ और ताल, फिर से बह कर कहीं दूर निकल चल। मेघा, बरस फिर से, ...
-
मत करना कभी किसी गैर पर भरोसा आंखे बंद करके नुरानी चेहरा भी मुरझा, जाएगा. कभी खुद पर जी खोलकर करके तो देख भरोसा मुरझाया हुआ चेहरा भी...
-
दुख या संघर्ष किसी इंसान को दो तरह के इंसान में बदल देता है. एक पत्थर दिल इंसान में जो किसी के दर्द को समझ नहीं पाता या दूसरा व्यक्ति जो हम...
-
विश्व मानसिक स्वास्थ दिवस पर मन, वचन और कर्म इन तीनों का उपयोग किसी का दिल दुखाने के लिए ना करें. आओं आज के दिन हम ये संकल्प करें. कि...