गुलाब की पंखुडियों सी नाज़ुक भावना रखती हूं।
कोमल मन के साथ लोहे सा सख़्त हौंसला भी रखती हूं।
इंद्रधनुषी अहसासों के रंग
से जीवन की जीवंत तस्वीर बनाती हूं।
सिर्फ चूल्हे चौके तक सीमित नहीं।
दुनियादारी की भी ख़बर रखती हूं।
अबला नहीं आज की नारी
मैं, सबल मन भी रखती हूं।
शिल्पा रोंघे
#नारी दिवस# सशक्तिकरण
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