Sunday, June 2, 2024

मेघा

देख रहे हैं राह, बचे-खुचे कुछ जंगल। अब तो निमंत्रण स्वीकार कर। सूख रही हैं नदियाँ और ताल, फिर से बह कर कहीं दूर निकल चल। मेघा, बरस  फिर से, प्राण ले रही गर्मी, अब तो जीवन में कुछ श्वास भर।


Saturday, June 1, 2024

आखिरी ख़त

हम भी किसी का पहला और आखिरी प्यार होते, हम भी किसी का पहला और आखिरी ख़त होते, अगर हम भी दौलत वाले और खूबसूरत होते।

मेघा

देख रहे हैं राह, बचे-खुचे कुछ जंगल। अब तो निमंत्रण स्वीकार कर। सूख रही हैं नदियाँ और ताल, फिर से बह कर कहीं दूर निकल चल। मेघा, बरस  फिर से, ...