Saturday, November 12, 2016

जो निकलते हैं चंद रुपयों की तलाश

जो निकलते हैं चंद रुपयों की तलाश 
में अक्सर उनके हाथ पूरा खजाना ही 
लग जाता है.
और कभी कभी कई लोग
प्यार की तलाश में पूरी 

दुनिया का चक्कर लगा आते
है और खाली हाथ लौट
आते हैं.

शिल्पा रोंघे

एक यतीम लड़के और यतीम लड़की की हमसफ़र

एक यतीम लड़के और 
यतीम लड़की की हमसफ़र
की तलाश ना जाने 
क्यों नहीं होती थी पूरी 
पूछा तो पता चला 

वो लड़का हमेशा
किसी लड़की में मां
तो लड़की बाप ढूंढती थी.

शिल्पा रोंघे

अच्छा हुआ कि तुमने

अच्छा हुआ कि तुमने मेरा नारियल 
सा कड़ा रूप देखा.
अच्छा हुआ जिसे मैंने नहीं फोड़ा.
अच्छा हुआ जो मेरे दिल 
का नर्म रूप तुमने नहीं देखा 

गर ऐसा होता तो यकीनन
मुझसे प्यार कर बैठते.
पत्थर सा ही रहने दो
मुझे.
फूलों सा नाजूक मुझे
नहीं बनना मुझे.
प्यार की कांटों भरी राह
पर नहीं चलना मुझे.

शिल्पा रोंघे

प्यार अंधा होता है

चलो मान लिया
कि प्यार अंधा
होता है,
पर यूूं भी अंधे ना होना कि
खुद का वजूद 
आईने में देखने से
झिझकने लगो
तुम.
शिल्पा रोंघे

कविता :| प्यार में उंच नीच नहीं देखते है.


सिड्रेंला और लैला
में बहस एक दिन
जमकर हुई 

लैला सिड्रेंला
की किस्मत को
बेहतर बता गई
सिड्रेंला को लैला
ने कहा देखो
फर्श से तू अर्श
पर पहुंच
गई
मैं महलों की रानी
होकर अकेली ही रह गई.
कुछ इस तरह वो फ़कीरी
को वो अमीरी से बेहतर
बता गई
और कह गई प्यार में
उंच और नीच
की बात गलती से भी ना करना
कभी.

शिल्पा रोंघे

कभी कभी होता है यूं भी

कभी कभी होता है यूं भी
होते है जिनके दूर हम
वो आंखों से ही पढ़ लेते
है दिल के राज.
होते है जिनके सबसे
करीब हम
वो ही होते है
हमसे सबसे
ज्यादा अंजान
शिल्पा रोंघे

ईमारत बनाने से ज्यादा तोड़ने में मेहनत लगती है

ना जाने क्यों लोगों
को नीचा दिखाने में रहते है
लोग
भूल जाते है वो ये शायद
कि ईमारत बनाने से ज्यादा
तोड़ने में मेहनत लगती है
शिल्पा रोंघे

Thursday, November 3, 2016

अक्सर वफ़ा के बदले बेवफ़ाई मिलती है.

सुना है हमने अक्सर 
वफ़ा के बदले
बेवफ़ाई मिलती है.
पर यकीन
मानों मेरा तुम
बेवफ़ाई के बदले
उससे दुगनी
बेवफ़ाई हाथ आती है.

शिल्पा रोंघे

Wednesday, November 2, 2016

कभी कभी ना कुछ कहने

कभी कभी ना कुछ कहने
का मन करता है 
ना कुछ लिखने का मन 
करता है
पर तय है 

जब चीरे लगेंगे
दिल पे
तो होगा कुछ यूं
कि उस लहू की स्याही
से पूरी किताब ही
लिखी जाए
जिसमें हो बातें
कुछ अनकही 

शिल्पा रोंघे

दिल्लगी भी ना किया करो हमसे

दिल्लगी भी ना किया करो हमसे 
हर बात दिल से लगा बैठते है.
कभी कभी इश्कबाजी को
भी सच्ची मोहब्बत समझ 
बैठते है.

अपने नहीं तो कम से कम
मेरे नाजुक दिल का तो ख्याल
किया करो.
इश्क के दरिया को पार करने में
हो भले ही माहिर हो तुम
लिए हमें यू
मझधार में छोड़कर ना
जाया करों.

शिल्पा रोंघे

मेघा

देख रहे हैं राह, बचे-खुचे कुछ जंगल। अब तो निमंत्रण स्वीकार कर। सूख रही हैं नदियाँ और ताल, फिर से बह कर कहीं दूर निकल चल। मेघा, बरस  फिर से, ...