चिराग से रोशन चेहरे हैं दुनिया में अनगिनत
लेकिन दिल तक उतर जाए, ऐसी कुव्वत
हर किसी के पास नहीं होती।
देते है मिसाल लोग चांदनी की,
लेकिन अंधेरे के बिना चांद की भी कद्र
कहां है हो पाती ?
शिल्पा रोंघे
I like to write Hindi poetry in comprehensive language, which try to depict different situation and state of mind of human beings. All Rights reserved ©Shilpa Ronghe
चिराग से रोशन चेहरे हैं दुनिया में अनगिनत
लेकिन दिल तक उतर जाए, ऐसी कुव्वत
हर किसी के पास नहीं होती।
देते है मिसाल लोग चांदनी की,
लेकिन अंधेरे के बिना चांद की भी कद्र
कहां है हो पाती ?
शिल्पा रोंघे
तीन नहीं,
एक और एक के जोड़
का नतीजा होता है दो,
बस यही है मेरी सीधी
और सरल सोच।
जो समझ गया वो दोस्त
बन गया
नहीं समझा वो दूर हो
गया।
कुछ इस तरह से मैंने
जिंदगी
की उलझनों को आसान बना
लिया।
शिल्पा रोंघे
करती थी जो बातें
हैरान और परेशान
इक दौर में।
अब उनका होना या ना
होना मायने ही नहीं रखता है।
मन की गहराईयों को समझता
है अहं कोई तो उस वहम का
पास मेरे कोई हल नहीं।
शिल्पा रोंघे
है वो गोकुल का ग्वाला।
शाम सी रंगत वाला घनश्याम
है गोपियों का दुलारा।
उसके सपनों में डूबी रहती
है ब्रज की हर बाला।
है नटखट चंचल नैनो वाला,
माखन और मिश्री
है उसके मन को सबसे ज्यादा भाता।
उसकी बासुंरी की तान सुनकर
है मोर झूम उठता और पत्ता -पत्ता बूटा-बूटा
प्रफुल्लित होता।
इस जगत का रखवाला है वो किशन कन्हैया।
शिल्पा रोंघे
मेरी कल्पनाओं की उड़ान तो देखो जिसे हमेशा
अंबर से कैनवास पर अनंत
स्थान मिला।
सूरज तो कभी
चांद ने दिखाया रास्ता
नया।
चाहे मिला हो कम या
ज्यादा
ये पता नहीं मुझे,
लेकिन जो
भी मिला उसका दिल से
आभार किया।
देख रहे हैं राह, बचे-खुचे कुछ जंगल। अब तो निमंत्रण स्वीकार कर। सूख रही हैं नदियाँ और ताल, फिर से बह कर कहीं दूर निकल चल। मेघा, बरस फिर से, ...