है वो गोकुल का ग्वाला।
शाम सी रंगत वाला घनश्याम
है गोपियों का दुलारा।
उसके सपनों में डूबी रहती
है ब्रज की हर बाला।
है नटखट चंचल नैनो वाला,
माखन और मिश्री
है उसके मन को सबसे ज्यादा भाता।
उसकी बासुंरी की तान सुनकर
है मोर झूम उठता और पत्ता -पत्ता बूटा-बूटा
प्रफुल्लित होता।
इस जगत का रखवाला है वो किशन कन्हैया।
शिल्पा रोंघे
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