नदी कहां रास्ता बदलती है ?
सूरज का वक्त है डूबने और
निकलने का तयशुदा.
हवा का मिज़ाज भी कभी
बहने तो कभी ठहरने का है.
किस किस को रंगू मैं अपने
रंग में या खुद को दुनिया के रंग में.
या बदल लूं रास्ता
अपना हर बार ही.
क्यों ना बन जाऊं मैं
एकांतवास का जोगी कुछ
वक्त के लिए.
शिल्पा रोंघे
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