Tuesday, September 22, 2020

मंदी

 

कोई मंदी की बात करता है तो कोई तंगी की

एक मायूसी सी देख रही हूं मैं नौजवान पीढ़ी में,

एक इंसान की शिकायत हो तो चलो मान

ले झूठ इसे, पर ये कहानी तो आज

हर दूसरा शख़्स कह रहा है।

तय है इतना उम्मीद की किरण

अब अपने अंदर ही ढूंढनी होगी।

कितनी ही हो काली रात

काटनी तो पड़ेगी ही

सुबह के इंतज़ार में।

शिल्पा रोंघे

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