Sunday, May 3, 2020

वक्त का फ़ैसला


वक्त ना कभी ठहरा है ना ठहरेगा
रुक भी जाए अगर दीवार पर टंगी हुई घड़ी,
फिर भी होता वक्त पर अंधेरा और उजाला है।
उसके फ़ैसले को कहां कोई बदल
पाया।
स्टेशन से छूटी ट्रेन भी
रुक जाती है जंजीर के खींचने से,
लेकिन वक्त तो गूंगा और बहरा है
वो कहां किसी के हिसाब से चलता  है
उसकी अपनी ही रफ़्तार है
और अपनी है एक चाल है।
शिल्पा रोंघे


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होली

 इस होली, हम रंग नहीं लगाएंगे, बल्कि सिर्फ शांति और सौहार्द का संदेश फैलाएंगे।