मैं यह नहीं कहती कि
रात्रि के बाद भोर नहीं होती ।
मैं यह नहीं कहती की
धूप के बाद छाया नहीं मिलती ।
मैं ये नहीं कहती
उदासी के क्षणों के बाद आनंद के क्षण नहीं आते है।
हां जीवन धुंधला
धुंधला और अस्पष्ट सा लगता है कभी-कभी।
जीवन के पथ पर कंकड़,
पत्थर, कांटे सब आते है,
हर कोई भाग्यवान नहीं
होता इतना कि मिल जाए जो
आंकाक्षा हो मन की।
बस इतना तय है संघर्ष
ही जीवन का पाठ पढ़ाते है, खुल जाते है बंद द्वार किस्मत के भी
धैर्य से।
देर हो भले ही कितनी
जो नहीं बैठते केवल भाग्य के भरोसे
अंत में कर्म के उन्हीं
के विजय है होती।
शिल्पा रोंघे
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