ये भी क्या बात हुई दो
चार दिन बरसात हुई।
इससे पहले लेते ठंडी
ठंडी बूंदों का मज़ा
उमस से ही मुलाकात
हुई।
चलो इतनी तो मेहराबानी
दिखाई मौसम ने
गर्म हवा से अब
गुफ़्तगू बंद हुई।
काले काले मेघा
क्या इस बार तुम रुठ
गए हो।
या फिर आसमान की राहों
में कहीं
पीछे छूट गए हो।
शिल्पा रोंघे
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