कुछ
ज़ज्बात होते है बिना पते के ख़त की तरह ।
लग
जाए हाथ जिसके और जो समझ पाए ख़ुदा वही उसका
होता
है।
किस्मत
का खेल भी कहां कोई समझ पाया है ।
ज़ुदा
हर किसी का नसीब एक दूसरे से होता है।
एक ही सवाल को हल करने का तरीका हर किसी का
कहां
एक सा होता है।
I like to write Hindi poetry in comprehensive language, which try to depict different situation and state of mind of human beings. All Rights reserved ©Shilpa Ronghe
इस होली, हम रंग नहीं लगाएंगे, बल्कि सिर्फ शांति और सौहार्द का संदेश फैलाएंगे।
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