Wednesday, January 30, 2019

इंसानी बस्ती

नागफ़नी को रेत,
मछली को समुंदर,
पंछियों को हवा,
इंसान को जमीन,
चांद तारों को काली रात 
सूरज को दिन के उजाले 
पसंद है.
अपनी अपनी बस्ती 
बसा लेते है वहां सब 
जहां दिल लगे या फिर उपरवाले 
की मर्ज़ी या हदें कहे.


शिल्पा रोंघे 

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होली

 इस होली, हम रंग नहीं लगाएंगे, बल्कि सिर्फ शांति और सौहार्द का संदेश फैलाएंगे।