नागफ़नी को रेत,
मछली को समुंदर,
पंछियों को हवा,
इंसान को जमीन,
चांद तारों को काली रात
सूरज को दिन के उजाले
पसंद है.
अपनी अपनी बस्ती
बसा लेते है वहां सब
जहां दिल लगे या फिर उपरवाले
की मर्ज़ी या हदें कहे.
शिल्पा रोंघे
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