Tuesday, March 3, 2020

निर्भया के अपनों की पीड़ा व्यक्त करती कविता-


निर्भया के अपनों की पीड़ा व्यक्त करती कविता-

तारीख कभी टलती है तो कभी बढ़ती है।
ना जाने कब रुकेगा ये दर्द का सिलसिला।
आंसुओं से डबडबाई आंखें उसकी पूछती है
कि अब और कितनी निर्भया ?

शिल्पा रोंघे

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