मैं इंतज़ार करुंगी खुशी की लहरों का।
मन के साहिल पे।
मैं खड़ी रहूंगी कड़ी धूप में भी
आनंद के बीजों के अंकुरण के होने तक।
अपने आंचल में समेट लुंगी
खट्टे मीठे कड़वे सभी
क्षणों की स्मृतियों को
फिर जड़ दूंगी उन्हें
अपने जीवन रूपी फ्रेम में।
गर्व है मुझे स्त्री होने का
क्योंकि ये शब्द किसी तोहफ़े
क्या कम है।
शिल्पा रोंघे
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