इस होली, हम रंग नहीं लगाएंगे, बल्कि सिर्फ शांति और सौहार्द का संदेश फैलाएंगे।
I like to write Hindi poetry in comprehensive language, which try to depict different situation and state of mind of human beings. All Rights reserved ©Shilpa Ronghe
Tuesday, March 19, 2024
Sunday, March 17, 2024
अभिलाषा
सबको खुश करने की चाह, सबकी नजरों में अच्छे बने रहने की अभिलाषा, आपको दुनिया का सबसे नाखुश इंसान बना सकती है, इसलिए वो बने जिससे आपको खुशी मिले।
Saturday, March 16, 2024
हुनर
भौतिक युग में कविता, कहानी को ज़िंदा रखना एक उपलब्धि ही तो है। सिर्फ लिखना ही नहीं, पढ़ना और समझना भी एक तरह का हुनर ही है।
Tuesday, March 12, 2024
विकल्प
दुख या संघर्ष किसी इंसान को दो तरह के इंसान में बदल देता है.
एक पत्थर दिल इंसान में जो
किसी के दर्द को समझ नहीं पाता
या दूसरा व्यक्ति जो
हमेशा ये चाहता है कि उसके जैसा दुख किसी को ना मिले
अब किसे क्या बनाना है ये वही तय कर सकता है।
दूसरा विकल्प कठिन है लेकिन असंभव नहीं.
Monday, March 11, 2024
बचपन
बचपन, बचपन की यादें और बचपन की तस्वीरें सबसे ज्यादा खूबसूरत होती हैं। अगर मन उदास हो कभी, उन्हें फिर से देख लेना या याद कर लेना। शायद तुम्हारे चेहरे पर फिर से मुस्कान आ जाए।
अल्हड़ हो जाना भी कभी-कभी समझदारी होती है।
Sunday, March 10, 2024
ईमानदार
देवकी -वसुदेव को बिना वजह कारावास मिला.
राम -सीता को वनवास मिला,
पांडवों को अज्ञातवास मिला।
शकुन्तला को दुष्यन्त से अलगाव का श्राप मिला।
सच्चे और ईमानदार लोगों को ही जीवन में कष्ट मिलता है, यह याद रखना।
Saturday, March 9, 2024
Friday, March 8, 2024
सुख
अपने सुख बता के तो देखो मुफ़्त का ज्ञान देने वालों की कतार लग जाएगी।
अपना दुख बता दो तो चारों तरफ तन्हाई ही मिलेगी।
शिल्पा रोंघे
Wednesday, March 6, 2024
काश
काश गमों का तबादला हो जाए
और खुशियों के पंछी का हमेशा के लिए बसेरा हो जाये.
सब्र रूपी पानी से सिंचती हूं फूल के पौधे को कि उसकी खुशबू ना सिर्फ मेरे बल्कि आस-पास के शहरों में भी बिखर जाए।
शिल्पा रोंघे
Tuesday, March 5, 2024
मृगतृष्णा
मृग ,मृगतृष्णा या मारीच में फर्क करना त्रेतायुग में ही इतना मुश्किल था तो अब कलियुग में कैसे आसान होगा?
Monday, March 4, 2024
सात्विक आहार
सात्विक आहार न केवल शरीर को नई ऊर्जा प्रदान करता है, बल्कि मन को भी स्वस्थ बनाए रखता है।
आशियाना,पंछी
कहां बनाऊ घरौंदा कि अब डाली ही नहीं बची.
कैसे मिटाऊं भूख, प्यास कि अब हरियाली ही नहीं बची.
हाल अब है ऐसा, छीन के मेरा आशियाना
अब वो इंसान मुझे ही
गुनहगार कहते हैं।
शिल्पा रोंघे
Saturday, March 2, 2024
मिसाल
याद रखना, सलाह देने वालों ये पहले, तुम्हें उसकी मिसाल कायम करनी होगी। तभी लोग तुम्हारे नक़्श-ए-क़दम पर चलेंगे।
मेघा
देख रहे हैं राह, बचे-खुचे कुछ जंगल। अब तो निमंत्रण स्वीकार कर। सूख रही हैं नदियाँ और ताल, फिर से बह कर कहीं दूर निकल चल। मेघा, बरस फिर से, ...
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मत करना कभी किसी गैर पर भरोसा आंखे बंद करके नुरानी चेहरा भी मुरझा, जाएगा. कभी खुद पर जी खोलकर करके तो देख भरोसा मुरझाया हुआ चेहरा भी...
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दुख या संघर्ष किसी इंसान को दो तरह के इंसान में बदल देता है. एक पत्थर दिल इंसान में जो किसी के दर्द को समझ नहीं पाता या दूसरा व्यक्ति जो हम...
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विश्व मानसिक स्वास्थ दिवस पर मन, वचन और कर्म इन तीनों का उपयोग किसी का दिल दुखाने के लिए ना करें. आओं आज के दिन हम ये संकल्प करें. कि...