राम नवमी पर
कल्पना रामराज्य की मुश्किल है कलियुग में.
त्रेतायुग में था,
कलियुग में भी है.
रावण कल भी था,
और आज भी है.
फ़र्क तो है बस इतना सा,
पहले वो खुद था तो
अब उसका अस्तित्व
गरीबी, भ्रष्टाचार, अहंकार, हिंसा,काम और क्रोध
में सिमट गया.
लेकिन पाप पर पुण्य की विजय
को कौन टाल सका है भला.
हे राम तुम्हारा अस्तित्व कल भी था
और आज भी है.
शिल्पा रोंघे
कल्पना रामराज्य की मुश्किल है कलियुग में.
त्रेतायुग में था,
कलियुग में भी है.
रावण कल भी था,
और आज भी है.
फ़र्क तो है बस इतना सा,
पहले वो खुद था तो
अब उसका अस्तित्व
गरीबी, भ्रष्टाचार, अहंकार, हिंसा,काम और क्रोध
में सिमट गया.
लेकिन पाप पर पुण्य की विजय
को कौन टाल सका है भला.
हे राम तुम्हारा अस्तित्व कल भी था
और आज भी है.
शिल्पा रोंघे
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