बड़ी अज़ीब हो जाती है ज़िंदगी कभी कभी
जो ना घुलना, और मिलना चाहती
है किसी के साथ.
हां मगर थमना नहीं बहना
चाहती है बिल्कुल नदी
की तरह शहर से दूर.
शिल्पा रोंघे
जो ना घुलना, और मिलना चाहती
है किसी के साथ.
हां मगर थमना नहीं बहना
चाहती है बिल्कुल नदी
की तरह शहर से दूर.
शिल्पा रोंघे
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