Thursday, March 22, 2018

एक पंछी की कहानी

एक पंछी की कहानी

सूखे हुए तालाबों
और घटते हुए जंगलों
से आजीज आकर
मैंने अपने पंखों का रुख़  शहर की तरफ कर
लिया.

देखा तो पानी बोतल में बंद होकर बिक रहा था.
 पेड़ों  की जगह गंगनचुंबी इमारतों  का बसेरा
था.

फिर उड़ान को मैंने अपने गांव की तरफ मोड़
दिया.
जहां सूखे पत्तों  से लदे पेड़ के नीचे
किसी ने पानी का कटोरा भरकर रखा हुआ
था.

शिल्पा रोंघे

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