बाग में जाते है जब
सब दिखाई देते
है उन्हें महकते फूल
और हवा में नाचते गाते
पत्ते, मोती सी चमकती
ओस की बूंदे, लेकिन
अगर तुम चले हो
हरी भरी घास पर
नंगे पाव कभी नहीं तो
सुन लो यही वो कोमल
स्पर्श है जो महसूस
करके तुम ले सकते हो
धरती पर स्वर्ग का आनंद
कभी भी.
मिट्टी से उपजी हरी चादर
को महसूस कर सको
तो कर लो जब हो फुरसत
तुम्हे जब भी.
शिल्पा रोंघे
सब दिखाई देते
है उन्हें महकते फूल
और हवा में नाचते गाते
पत्ते, मोती सी चमकती
ओस की बूंदे, लेकिन
अगर तुम चले हो
हरी भरी घास पर
नंगे पाव कभी नहीं तो
सुन लो यही वो कोमल
स्पर्श है जो महसूस
करके तुम ले सकते हो
धरती पर स्वर्ग का आनंद
कभी भी.
मिट्टी से उपजी हरी चादर
को महसूस कर सको
तो कर लो जब हो फुरसत
तुम्हे जब भी.
शिल्पा रोंघे
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