Saturday, February 10, 2024

चांद सी

कहते हैं लोग प्यार सूरत नहीं, सीरत देख कर होता है, लेकिन शायरी में हमेशा महबूबा चांद सी और महबूब रात सा क्यों होता है?

No comments:

Post a Comment

मेघा

देख रहे हैं राह, बचे-खुचे कुछ जंगल। अब तो निमंत्रण स्वीकार कर। सूख रही हैं नदियाँ और ताल, फिर से बह कर कहीं दूर निकल चल। मेघा, बरस  फिर से, ...