Monday, February 26, 2024

ज़िंदगी

 ज़िंदगी को चलाने के लिए इंसान शहरों की तरफ भागता है और फिर अपनी सांसों को जिन्दा रखने के लिए जंगल, जल किनारे और गाँव की तरफ लौटता है।


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मेघा

देख रहे हैं राह, बचे-खुचे कुछ जंगल। अब तो निमंत्रण स्वीकार कर। सूख रही हैं नदियाँ और ताल, फिर से बह कर कहीं दूर निकल चल। मेघा, बरस  फिर से, ...