Saturday, February 3, 2024

सफलता की सीढ़ी

अब महल भी होंगे,खिड़कियाँ भी होंगी

लेकिन साफ  

साँसें

नहीं होंगी।

रंग-बिरंगे छाते भी होंगे बाजार में, 

लेकिन बारिश कम होगी।

पशु-पक्षी करेंगे इंसानी बस्ती का रुख,

ख़ौफ़ में मानव यहाँ-वहाँ दौड़ेंगे।

जब नहीं बचेंगे जंगल, तब तवे सी तपेगी धरा,

हम तो सुख-सुविधाओं में रहेंगे, लेकिन

गायब हो जाएगी अगली पीढ़ी, तो क्या

यही है  

कलियुग

में सफलता की सीढ़ी।  


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होली

 इस होली, हम रंग नहीं लगाएंगे, बल्कि सिर्फ शांति और सौहार्द का संदेश फैलाएंगे।