Tuesday, March 12, 2019

ये रिश्ता कैसा

कुछ शिकायतें भी ज़रूरी है ज़नाब.
हर खामोश सा रिश्ता ज़िंदा हो ये  ज़रूरी 
नहीं.
शिल्पा रोंघे 

No comments:

Post a Comment

मेघा

देख रहे हैं राह, बचे-खुचे कुछ जंगल। अब तो निमंत्रण स्वीकार कर। सूख रही हैं नदियाँ और ताल, फिर से बह कर कहीं दूर निकल चल। मेघा, बरस  फिर से, ...