शाम सा रंग उसका,
कहकर "श्याम" मोहन
सा लड़के को कहते है,
बात जब उसकी आती है
तो क्यों नहीं वो राधा कहलाती
है ?
उजाला दिल होकर भी
भीड़ में वो लड़की
जाती है, तो सांवली लड़की
ऐसी पहचान पाती है.
क्या समझे वो इसे प्रशंसा या तिरस्कार
देखकर समाज का दोहरा रवैया
हैरत में पड़ जाती है.
शिल्पा रोंघे
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