Thursday, March 7, 2019

नारी दिवस

माना कि तुम्हें पुत्री, पत्नी, मां, बेटी 
का किरदार धीरज के साथ 
निभाना है,
किंतु त्याग की बलिवेदी पर 
अपनी अभिलाषाओं का 
बलिदान का तुम्हें उचित 
लगता है ?

माना कि मर्यादा और लज्जा 
ही तुम्हारा सबसे सुंदर गहना है,
किंतु क्या इस डर से चुप रह जाना 
तुम्हें रास आता हैं ?

माना कि समाज की खींची गई रेखा
को नहीं चाहती तुम लांघना.
किंतु क्या तुम असीमित 
संभावनाओं के बीच चाहोगी 
खुद को सीमित करके रहना.

हे नारी तुम अपने अधिकारों के 
लिए खुद ही आवाज़ उठाओं.
क्योंकि अब राजाराममोहन राय,
ईश्वरचंद विघासागर, ज्योतिबा और 
सावित्री फुले कि दिखाई राह पर 
तुम्हें ही नारी सशक्तिकरण के 
दीप जलाना है.
शिल्पा रोंघे 

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