मूर्ख बनने को
मजबूर है.
बदलते ज़माने
का दस्तूर है.
क्योंकि समझदार
वहीं है जो चुप रहते है,
अंदर ही अंदर घुटना जिन्हें
मंजूर है.
जो कह दे अपने अधिकारों
की बात वो तेज तर्रार है.
इल्म की बाते करने वाला
समझा जाता मगरूर है.
जड़मति हो जाना
ही अच्छे इंसान की
निशानी है.
मानो या ना मानो अब बस
मानो या ना मानो अब बस
यही चलन में है.
शिल्पा रोंघे
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