खुद ही लिखे अपने तौर तरीके की किताब तो होगा बेहतर.
सबकी जिंदगी एक सी
होती नहीं, तो कैसे चलेगा
एक ही नियम से सबका काम ?
कभी कठोर तो कभी उदार
रहना पड़ता है पानी और
मिट्टी से बनीं दुनिया में
बिल्कुल बर्फ़ की तरह.
शिल्पा रोंघे
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