Wednesday, March 20, 2019

कविता दिवस

खट्टे, मीठे और कसैले
"रस" से बनती कविता
"अंलकारों " से करती सिंगार
छंदों के आवरण डाले
हुए सुंदर कल्पना गढ़ती,
सादगी में
शब्दों की मूर्ति गढ़ती.
"कविता" हर युग में
नए नए रंग बदलती
क्रांति, भक्ति
प्रेम का आह्वान करती.
अनकही भावनाओं की भावपूर्ण
अभिव्यक्ति करती.
शिल्पा रोंघे 

No comments:

Post a Comment

होली

 इस होली, हम रंग नहीं लगाएंगे, बल्कि सिर्फ शांति और सौहार्द का संदेश फैलाएंगे।