Thursday, June 18, 2020

उम्मीद

उम्मीद भी बिकने लगी अब

अपनापन गर अपनों से ना मिल सका

तो फिर बाज़ार में क्या ख़ाक मिलेगा।

झांककर देखा अपने अंदर

तो वो ख़ुशियां भी मिल गई

जिनसे वाकिफ़ नहीं थे कभी।

शिल्पा रोंघे

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होली

 इस होली, हम रंग नहीं लगाएंगे, बल्कि सिर्फ शांति और सौहार्द का संदेश फैलाएंगे।