मेघ सी बनीं आकृति से,
जल में उठी तरंगों से,
परिजात के पुष्पों से,
वायु के समान अदृश्य
या किसी शिला से बने
मूरत से ना जाने कैसे
होगे तुम और कब
मिलोगे क्या पता ?
अनजानी कल्पनाओं से ही
मन के कैनवास पर
चित्र तुम्हारा साकार
कर लेंगे.
शिल्पा रोंघे
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