Saturday, February 16, 2019

प्रकृति का तालमेल

पनाह पाई थी एक अंकुर ने 
पेड़ तले,
उसकी जड़ों के आसपास 
ज़िंदगी उसने पाई,
कड़ी धूप में वो
छांव देता भी तो कैसे 
हां एक बचा खुचा 
सूखा पत्ता गिरा 
दिया इस उम्मीद में 
कि बारिश तक तो 
तेज़ धूप से बचा लेगा.
पेड़ की फ़ितरत थी छांव 
देना हरा भरा था तब भी 
और  सूखा था तब भी.
शिल्पा रोंघे 

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