मुझे एक तस्वीर बनाकर भेजना
उसमें तकदीर की रेखाएं खींचना.
उसके आंगन के बाग को तुम पसीने
से सींचना.
एक सुंदर आशियाना बनना, ईंट
पत्थर से नहीं भावनाओं से बनाना,
फिर कुदरत के रंग उसमें भरना.
हां जिंदगी की धूप पनाह पा जाए
कुछ खिड़कियां ज्यादा रखना.
मुंडेर पर एक कटोरा पानी भरकर
रखना ताकि पंछी देते रहे
खुशियों और गम का संदेशा.
कुछ ऐसी कल्पना के रंग
अपने कागज पर भरना.
मन के लिफ़ाफे से बनाकर पतंग
आसमान में उड़ने देना,
मैं हवा बनकर पढ़ लूंगी.
ख़्वाब कई मन ही मन बुन लुंगी.
शिल्पा रोंघे
No comments:
Post a Comment